Breaking News

यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 12 सितंबर 2015

।।श्रीपीताम्बराबगला शाबर शक्ति पाठ।।

।।श्रीपीताम्बराबगला शाबर शक्ति पाठ।।
--------------------------------------------
ऊँ नमो श्रीबगलामुखी स्वरूपा,
शत्रु संहार करो देवि अनूपा।
चरण तेरे कोमल कमल जैसे।
जिसके ह्रदय में वही देव जैसे।।
दुःख शुम्भ ने आ घेरा है मुझको,
मिटा क्लेश मैया भक्त कहे तुझको।
पीताम्बरा श्रीअपराजिता तू कहाई,
जभी भक्त सुमरे तू करती सहाई।।
गदा चक्र पाश शंख हाथों सोहे,
चतुर्भुज रूप तेरा शिव को मोहे।
योग दीक्षा हीन को न होता ज्ञान तेरा।
पूर्णाभिषिक्त भी न जान पाएँ धाम तेरा।।
जिस पर तेरी कृपा हो वही गुण गान करता।
दम्भो तन्त्र साधक क्लेशित हो के मरता।।
तेरे अनन्त रूपों ने की भक्त रक्षा।
तेरे वीरभद्र सुत ने मारा था दक्षा।।
कलि में महिमामयि व्यर्थ हैं कर्म सारे।
भक्तिपूर्ण हो जै जै जयाम्बा पुकारे।।
तमप्रबल युग में भ्रमित हैं कर्मकाण्डी।
शुष्क वेन्दान्त छाँटें बकवत् त्रिदण्डी।।
वाक् मनोकाय निग्रह कोई न करते।
गृहसदृश पलँग पर फलफूल चरते।।
जिधर देखा उधर ही ब्रह्मवक्ता।
उपासना बिन स्वरूप ज्ञान कैसा।।
आहार निद्रा पटु पृथ्वी जल चारी।
कैसे हो माता सहस्त्रार विहारी ?
कहते कपिल सहस्त्रार हो आए।
ईश्वर सम शक्ति प्रतिभा को पाए।।
नाभिचक्र तक योगी जाता,अष्टसिद्धिगुण प्रकट हो जाता।
अनाहत प्रकाश प्रत्यक्ष हो जाए,सहस्त्रवर्ष आयु वह पाए।।
मैं तो स्वाधिष्ठान तक आया,
अति अद्भुत देखी तेरी माया।
मानसरोवर त्रिकोण दिव्य सुन्दर,
श्रीधाताशारदा बैठे हैं कमल।।
भुजंग स्वर्णमयी महाकामस्वरूपा,
नतमस्तक हो पूजत सुरभूपा।
गायत्री प्रकृति श्रीयन्त्र मनोहर,
श्रीशुभ्रज्योत्स्ने विश्वमोहन कर।।
राजराजेश्वरी अमित बलशाली,
सर्वार्थपूर्ण करो श्रीहंस काली।
श्रीदिव्य सिद्ध धाम गुरु रूप धरी,
जै बगला शाक्त मनोरथ पूर्ण करो।।
जिह्वा पकड़कर गदा उठाए,
पाश डाल शत्रु को मिटाए।
उन्मक्त नेत्र बकवाहन सुहाए,
भक्त रका हेतु शीघ्र ही धाए।।
सिद्धविद्या श्री स्तम्भिनी मंगला,
करो त्राण मम भीमा चञ्चला।
त्र्यक्षरी मन्त्र मूर्ति माँ माहेश्वरी,
कलिप्रत्यक्ष फलदा तू परमेश्वरी।।
भुक्ति मुक्तिदा भक्त शरण्ये,
नमामि भजामि श्रीगिरिराजकन्ये।
श्रीचक्रराजशक्ति तुम कहातीं,
विधि का लेखा कुअक्षर मिटातीं।।
सिद्धि भक्ति पूर्ण को है विश्वास तेरा,
ब्रह्मास्त्र मन्त्र रूप है आधार मेरा।
लोक लाज प्रपञ्च कर्म त्यागा,
श्रीबगला चरण कमल मन लागा।।
------------------------------------
श्रीपीताम्बराबगला समर्पणम्
------------------------------------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें