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शनिवार, 19 सितंबर 2015

विशेष आपदा में

“ॐ श्री महाञ्जनाय पवन-पुत्र-वेशयावेशय ॐ श्रीहनुमते फट् ।”
यह २५ अक्षरों का मन्त्र है इसके "ऋषि ब्रह्मा, छन्द गायत्री, देवता हनुमानजी, बीज श्री और शक्ति फट्" बताई गई है । छः दीर्घ स्वरों से युक्त बीज से षडङ्गन्यास करने का विधान है । इस मन्त्र का ध्यान इस प्रकार है -

आञ्जनेयं पाटलास्यं स्वर्णाद्रिसमविग्रहम् ।
परिजातद्रुमूलस्थं चिन्तयेत् साधकोत्तम् ।।
 (नारद पुराण ७५-१०२)

इस प्रकार ध्यान करते हुए साधक को एक लाख जप करना चाहिए । तिल, शक्कर और घी से दशांश हवन करें और श्री हनुमान जी का पूजन करें । यह मंत्र ग्रह-दोष निवारण, भूत-प्रेत दोष निवारण में अत्यधिक उपयोगी है ।

विशेष आपदा में आप स्वम या किसी योग्य पुरोहित कुल साधक द्वारा अनुश्ठान करा सकते है स्वम करना चाहे तो प्राण प्रतिष्ठत माला यंत्र व् विनियोगादि विधि प्राप्त करके कर सकते है.

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