कौल मार्ग में तिन देवी की उपासना किया जाता है
एक " माँ काली " ( कादी विद्या )
दूसरा " माँ सुन्दरी " ( हादी विद्या )
तीसरा " माँ तारा " ( सादी विद्या )
किन्तु क्यों ???
जब की ज्ञानी जन कह गए हैं
एक साधे सब सधे ( जिसने एक को साध लिया समझो सबको पा लिया )
अब यहाँ प्रश्न आता है की
वह एक हैं कौन ??
वह एक हैं
आदिशक्ति
आदिशक्ति ने स्वम् को मानव कल्याण हेतु तिन भागो में विभक्त किया
एक तमो भाग ( माँ काली )
दूसरा सतो भाग ( माँ सुन्दरी )
तीसरा रजो भाग ( माँ तारा )
और उस एक का हम कौलमार्गी तिन भागो की एक एक कर गुरु से ज्ञान प्राप्त करते हैं क्रम अनुसार
की
उस भाग का मन्त्र क्या हैं
उस भाग का ध्यान क्या है
उसका पूर्ण विधान क्या हैं
और गुरु जी भी एक एक करतीनो गुणों के अधिष्ठात्री देवियो की गुह्य तथ्य का ज्ञान देते रहते हैं
क्योंकि
जब तक हम उस एक की तीनो गुणों को समझ नही लेते
जान नही लेते
अनुभव नही कर लेते
तब तक हम उस एक को पूर्ण रूप से जान नही सकते
और फिर
जब वह कौलउपासक तीनो क्रम को पूर्णतः सिद्ध कर लेता है
तब वह अवधूत कहलाता हैं
क्योंकि
वह तीनो गुणों को जान चूका होता है
अब उसे जाननेहेतु कुछ भी शेष नही हैं
और तभी वह स्थूल मकारों से मुक्त हो जाता हैं
बाहरी आडम्बर से
तिलक जनेऊ माला से यहाँ तक की वस्त्र तक से वह मुक्त हो जाता
और तब उसके लिए क्या माया और क्या जन्म चक्र ???
और सबसे मजे की बात यह है की यहाँ फेसबुक में हजारो कौल अवधूत भरे पड़े हैं
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