कस्तूरी
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तंत्र प्रयोगों में कस्तूरी का एक विशेष स्थान है,और ऐसा कोई भी व्यक्ति नही होगा जो कि इसके विषय में जानता न हो,परन्तु अह असली मिलती ही नही। इसी कारण से तन्त्र प्रयोग करने पर इससे मिलने वाले लाभ प्रश्न ही बने रहते हैं। कस्तूरी प्राय: सर्वत्र उपलब्ध है और कस्तूरी कहने मात्र से पंसारी दे देता है। यह असली है या नकली यह प्रश्न बना ही रहता है,क्योकि इसके विषय में बहुत अधिक किसी को मालुम नही होता है,और कोई बताता भी नही है। कस्तूरी एक प्रकार के हिरन के कांटा आदि लगने के बाद बनने वाली गांठ के रूप में होती है,उस हिरन का खून उस गांठ में जम जाता है,और उसके अन्दर ही सूखता रहता है,जिस प्रकार से किसी सडे हुये मांस की बदबू आती है उसी प्रकार से उस हिरन के खून की बदबू इस प्रकार की होती है कि वह मनुष्यजाति को खुशबू के रूप में प्रतीत होती है। जिस हिरन से कस्तूरी मिलती है वह समुद्र तल से आठ हजार फ़ुट की ऊंचाई पर मिलता है,मुख्यत: इस प्रकार के हिरन हिमालय दार्जिलिंग नेपाल असम चीन तथा सोवियत रूस मे अधिकतर पाया जाता है,कस्तूरी केवल पुरुष जाति के हिरन में ही बनती है जो कि खुशबू देती है,मादा हिरन की कस्तूरी कुछ समय तो खुशबू देती है लेकिन शरीर से अलग होने के बाद सडने लग जाती है। दूसरे कस्तूरी प्राप्त करने के लिये कभी भी हिरन को मारना नहीं पडता है,वह गांठ जब सूख जाती है,तो पेडों के साथ हिरन के खुजलाने और चट्टानों के साथ अपने शरीर को रगडने के दौरान अपने आप गिर जाती है। इस गिरी हुई गांठ पर वन्य जीव भी अपनी नजर रखते है,और जब उनसे बच पाती है तो ही मनुष्य को मिलती है। अक्सर जो कंजर जाति के लोग कस्तूरी को बेचते है वे गीधड या सूअर के अंडकोष को सिल कर सुखा लेते है,और उनके सूखने पर उसके ऊपर कस्तूरी का नकली सेंट छिडकर बेचना शुरु कर देते है,भोले भाले लोग उनके चंगुल में आकर एक मरे हुये जानवर का अंग अपने घरों में संभाल कर रखते है और उसे बहुत ही पवित्र और उपयोगी वस्तु मानकर उसका प्रयोग करते है। नकली कस्तूरी को प्राप्त करने के और भी साधन होते है जैसे कि एक ओबीबस मस्केटस नामका सांड होता है जिसके शरीर से कस्तूरी जैसी ही सुगंध आती है,एक बत्तख भी होती है जिसे अनास मस्काटा कहते है,एक बकरा भी होता है जिसे कपरा आइनेक्स कहा जाता है,इसके खून में भी कस्तूरी जैसी सुगंध आती है,एक मगरमच्छ होता है जिसे क्रोकोवेल्गेरिस कहा जाता है,जिसके शरीर से भी कस्तूरी की तीव्र खुशबू आती है,आदि जीवों से भी कस्तूरी को विभिन्न तरीके से प्राप्त किया जाता है। बाजार में तीन प्रकार की कस्तूरी आती है,एक रूस की कस्तूरी,दूसरी कामरूप की कस्तूरी और तीसरी चीन की कस्तूरी,आप समझ गये होंगे कि किस जानवर का खून सुखाकर उसे कस्तूरी की कीमत में लोग बेच सकते होंगे।
कस्तूरी की पहिचान करने के तरीके
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कस्तूरी का दाना लेकर एक कांच के गिलास में डाल दें,दाना सीधा जाकर गिलास के तल में बैठ जायेगा,वह न तो गलेगा और न ही ढीला होगा। एक अंगीठी में कोयले दहकायें उस पर कस्तूरी का दाना डालें अगर नकली होगी तो वह जल कर धुंआ बन कर खत्म हो जायेगी,और असली होगी तो काफ़ी समय तक बुलबुले पैदा करने के बाद जलती रहेगी। एक सूती धागे को हींग के पानी में भिगोकर गीला कर लें और सुई में डालकर कस्तूरी के अन्दर से निकालें,अगर असली कस्तूरी होगी तो हींग अपनी खुशबू को छोड कर धागे में कस्तूरी की खुशबू भर जायेगी,वरना हींग की महक को मारने वाला और कोई पदार्थ नही है। एक पदार्थ होता है जिसे ट्रिनीट्रोब्यूटिल टोलबल कहते है इसकी महक भी कस्तूरी की तरह से होती है और काफ़ी समय तक टिकती है,कस्तूरी भारी होती है,कस्तूरी छूने में चिकनी होती है,कस्तूरी सफ़ेद कपडे में रखने के बाद पीला हो जाता है,कस्तूरी की नाप मटर के दाने के बराबर होती है,कहीं कहीं पर यह इलायची के दाने के बराबर भी पायी जाती है। इससे बडी कस्तूरी नही मिलती है।
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