नवरात्रों पूजा के साथ साथ देवी मां की हवन का विशिष्ट महत्व है :
नवरात्रों में पूजा के साथ साथ देवी के निमित्त हवन करने का विशिष्ट महत्व है और सर्वकामना पूरक माना जाता है इस हवन को | यद्धपि अधिकांश परिवारों में जलते हुए कंडे पर लौंग के जोड़े, गुग्गल, घी और हवन सामग्री डालकर ही देवी की ज्योति जलाई जाती है |
जहाँ तक शास्त्रीय विधान का प्रश्न है बालू की वेदी बनाकर और उसे आटे से सजाकर ढाक की लकड़ियाँ रख दीजिये | धूप की कटोरी बनाकर उसमें कपूर रखकर प्रज्वलित करने के बाद एक सौ आठ आहुतियाँ दी जाती हैं और अंत में सूखे गोले में हवन सामग्री भरकर पूर्णाहुति दी जाती है |
हवन सामग्री तैयार करने हेतु काले बिना धुले तिल, तिलों के आधे चावल, चौथाई जौ और आठवां भाग बुरा अथवा चीनी मिलाएं | इस मिश्रण में इच्छानुसार अगर, तगर, चन्दन का बुरादा, जटामांसी, इंद्रजौ तथा अन्य जड़ी बूटियाँ आदि मिला लीजिये | थोडा सा देसी घी भी इस सामग्री में मिलाया जाएगा और प्रत्येक आहुति के साथ चम्मच से थोडा -थोडा घी हवन में डाला जाएगा |
पूर्णाहुति के लिए साबूत गिरी के गोले की टोपी उतारकर उसमे पान का पत्ता, सुपारी और उपरोक्त मिश्रण तथा घी भरकर टोपी लगा दें और इसे सीधा ही अग्नि के मध्य में रख दें |
सभी आहुतियाँ दुर्गा नवार्ण मंत्र एवं दुर्गा सप्तशती के श्लोको के द्वारा दी जाती हैं | पहली बार किसी कुशल ब्राहमण के सहयोग एवं मार्गदर्शन यह पवित्र यज्ञ संपन्न करें |
नवरात्रों में पूजा के साथ साथ देवी के निमित्त हवन करने का विशिष्ट महत्व है और सर्वकामना पूरक माना जाता है इस हवन को | यद्धपि अधिकांश परिवारों में जलते हुए कंडे पर लौंग के जोड़े, गुग्गल, घी और हवन सामग्री डालकर ही देवी की ज्योति जलाई जाती है |
जहाँ तक शास्त्रीय विधान का प्रश्न है बालू की वेदी बनाकर और उसे आटे से सजाकर ढाक की लकड़ियाँ रख दीजिये | धूप की कटोरी बनाकर उसमें कपूर रखकर प्रज्वलित करने के बाद एक सौ आठ आहुतियाँ दी जाती हैं और अंत में सूखे गोले में हवन सामग्री भरकर पूर्णाहुति दी जाती है |
हवन सामग्री तैयार करने हेतु काले बिना धुले तिल, तिलों के आधे चावल, चौथाई जौ और आठवां भाग बुरा अथवा चीनी मिलाएं | इस मिश्रण में इच्छानुसार अगर, तगर, चन्दन का बुरादा, जटामांसी, इंद्रजौ तथा अन्य जड़ी बूटियाँ आदि मिला लीजिये | थोडा सा देसी घी भी इस सामग्री में मिलाया जाएगा और प्रत्येक आहुति के साथ चम्मच से थोडा -थोडा घी हवन में डाला जाएगा |
पूर्णाहुति के लिए साबूत गिरी के गोले की टोपी उतारकर उसमे पान का पत्ता, सुपारी और उपरोक्त मिश्रण तथा घी भरकर टोपी लगा दें और इसे सीधा ही अग्नि के मध्य में रख दें |
सभी आहुतियाँ दुर्गा नवार्ण मंत्र एवं दुर्गा सप्तशती के श्लोको के द्वारा दी जाती हैं | पहली बार किसी कुशल ब्राहमण के सहयोग एवं मार्गदर्शन यह पवित्र यज्ञ संपन्न करें |
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