नवरात्र में भगवती को लगाए जाने वाले भोग
नवरात्र का पहला दिन माँ शैलपुत्री का- इस दिन भगवती जगदम्बा की गोघृत से पूजा होनी चाहिये अर्थात् षोडशोपचार से पूजन करके नैवेद्य के रूप में उन्हें गाय का घृत अर्पण करना चाहिये एवं फिर वह घृत ब्राह्मण को दे देना चाहिये। इसके फलस्वरूप मनुष्य कभी रोगी नहीं हो सकता।
नवरात्र का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी का- इस दिन पूजन करके भगवती जगदम्बा को चीनी का भोग लगावे और ब्राह्मण को दे दें। यों करने से मनुष्य दीर्घायु होता है।
नवरात्र का तीसरा दिन माँ चंद्रघण्टा का- भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होती चाहिये एवं पूजन के उपरान्त वह दूध किसी ब्राह्मण को दे देना उचित है। यह सम्पूर्ण दु:खों से मुक्त होने का एक परम साधन है।
नवरात्र का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा का- इस दिन मालपूआ का नैवेद्य अर्पण किया जाय और फिर वह योग्य ब्राह्मण को दे दिया जाय। इस अपूर्व दानमात्र से ही किसी प्रकार के विघ् सामने नहीं आ सकते।
नवरात्र का पांचवां दिन माँ स्कंदमाता का- इस दिन पूजा करके भगवती क ो केले का भोग लगाये और वह प्रसाद ब्राह्मण को दे दें, ऐसा करने से पुरुष की बुद्धि का विकास होता है।
नवरात्र का छठा दिन माँ कात्यायनी का- इस दिन देवी के पूजन में मधु का महत्त्व बताया गया है। वह मधु ब्राह्मण अपने उपयोग में ले। इसके प्रभाव से साधक सुन्दर रूप प्राप्त करता है।
नवरात्र का सातवां दिन माँ कालरात्रि का- इस दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पण करके ब्राह्मण को दे देना चाहिये। ऐसा करने से पुरुष शोकमुक्त हो सकता है।
नवरात्र का आठवां दिन माँ महागौरी का- इस दिन भगवती को नारियल का भोग लगाना चाहिये। फिर नैवेद्य रूप वह नारियल ब्राह्मण को दे देना चाहिये। इसके फलस्वरूप उस पुरुष के पास किसी प्रकार के संताप नहीं आ सकते।
नवरात्र का नौवां दिन माँ सिध्दिदात्री का- इस दिन भगवती को धान का लावा अर्पण करके ब्राह्मण को दे देना चाहिये। इस दान के प्रभाव से पुरुष इस लोक और परलोक में भी सुखी रह सकता है।
नवरात्र का पहला दिन माँ शैलपुत्री का- इस दिन भगवती जगदम्बा की गोघृत से पूजा होनी चाहिये अर्थात् षोडशोपचार से पूजन करके नैवेद्य के रूप में उन्हें गाय का घृत अर्पण करना चाहिये एवं फिर वह घृत ब्राह्मण को दे देना चाहिये। इसके फलस्वरूप मनुष्य कभी रोगी नहीं हो सकता।
नवरात्र का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी का- इस दिन पूजन करके भगवती जगदम्बा को चीनी का भोग लगावे और ब्राह्मण को दे दें। यों करने से मनुष्य दीर्घायु होता है।
नवरात्र का तीसरा दिन माँ चंद्रघण्टा का- भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होती चाहिये एवं पूजन के उपरान्त वह दूध किसी ब्राह्मण को दे देना उचित है। यह सम्पूर्ण दु:खों से मुक्त होने का एक परम साधन है।
नवरात्र का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा का- इस दिन मालपूआ का नैवेद्य अर्पण किया जाय और फिर वह योग्य ब्राह्मण को दे दिया जाय। इस अपूर्व दानमात्र से ही किसी प्रकार के विघ् सामने नहीं आ सकते।
नवरात्र का पांचवां दिन माँ स्कंदमाता का- इस दिन पूजा करके भगवती क ो केले का भोग लगाये और वह प्रसाद ब्राह्मण को दे दें, ऐसा करने से पुरुष की बुद्धि का विकास होता है।
नवरात्र का छठा दिन माँ कात्यायनी का- इस दिन देवी के पूजन में मधु का महत्त्व बताया गया है। वह मधु ब्राह्मण अपने उपयोग में ले। इसके प्रभाव से साधक सुन्दर रूप प्राप्त करता है।
नवरात्र का सातवां दिन माँ कालरात्रि का- इस दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पण करके ब्राह्मण को दे देना चाहिये। ऐसा करने से पुरुष शोकमुक्त हो सकता है।
नवरात्र का आठवां दिन माँ महागौरी का- इस दिन भगवती को नारियल का भोग लगाना चाहिये। फिर नैवेद्य रूप वह नारियल ब्राह्मण को दे देना चाहिये। इसके फलस्वरूप उस पुरुष के पास किसी प्रकार के संताप नहीं आ सकते।
नवरात्र का नौवां दिन माँ सिध्दिदात्री का- इस दिन भगवती को धान का लावा अर्पण करके ब्राह्मण को दे देना चाहिये। इस दान के प्रभाव से पुरुष इस लोक और परलोक में भी सुखी रह सकता है।
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