कई बार हम सब लोग जानकारी के अभाव में मन मर्जी के अनुसार आरती उतारते रहते
हैं जबकि देवताओं के सम्मुख चौदह बार आरती उतारने का विधान होता है -चार
बार चरणों में दो बार नाभि पर एक बार मुख पर सात बार पूरे शरीर पर इस
प्रकार चौदह बार आरती की जाती है - जहां तक हो सके विषम संख्या अर्थात
१,३,५,७ बत्तियॉं बनाकर ही आरती की जानी चाहिये.
किस मातृका शक्ति कि साधना करने से क्या प्राप्त होता है आइये अब इस पर एक निगाह डालते हैं :-
शैलपुत्री साधना- भौतिक एवं आध्यात्मिक इच्छा पूर्ति।
ब्रहा्रचारिणी साधना- विजय एवं आरोग्य की प्राप्ति।
चंद्रघण्टा साधना- पाप-ताप व बाधाओं से मुक्ति हेतु।
कूष्माण्डा साधना- आयु, यश, बल व ऐश्वर्य की प्राप्ति।
स्कंद साधना- कुंठा, कलह एवं द्वेष से मुक्ति।
कात्यायनी साधना- धर्म, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति तथा भय नाशक।
कालरात्रि साधना- व्यापार/रोजगार/सर्विस संबधी इच्छा पूर्ति।
महागौरी साधना- मनपसंद जीवन साथी व शीघ्र विवाह के लिए।
सिद्धिदात्री साधना- समस्त साधनाओं में सिद्ध व मनोरथ पूर्ति।
किस मातृका शक्ति कि साधना करने से क्या प्राप्त होता है आइये अब इस पर एक निगाह डालते हैं :-
शैलपुत्री साधना- भौतिक एवं आध्यात्मिक इच्छा पूर्ति।
ब्रहा्रचारिणी साधना- विजय एवं आरोग्य की प्राप्ति।
चंद्रघण्टा साधना- पाप-ताप व बाधाओं से मुक्ति हेतु।
कूष्माण्डा साधना- आयु, यश, बल व ऐश्वर्य की प्राप्ति।
स्कंद साधना- कुंठा, कलह एवं द्वेष से मुक्ति।
कात्यायनी साधना- धर्म, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति तथा भय नाशक।
कालरात्रि साधना- व्यापार/रोजगार/सर्विस संबधी इच्छा पूर्ति।
महागौरी साधना- मनपसंद जीवन साथी व शीघ्र विवाह के लिए।
सिद्धिदात्री साधना- समस्त साधनाओं में सिद्ध व मनोरथ पूर्ति।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें