किसी भी देवता की प्रसन्नता के लिए हमें उस देवता का मंत्र व नाम सहित क्रम से पूजन व श्रृंगार क़रना चाहिये।
षोडशोपचार पूजन :
१.आवाहन - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे आगच्छय आगच्छय
षोडशोपचार पूजन :
१.आवाहन - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे आगच्छय आगच्छय
२. आसन - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे आसनं समर्पयामि
३. पाद्य ( चरण धोना ) - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे पाद्यं निवेदयामि
४. अर्घ्य - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे अर्घ्यं निवेदयामि
५, आचमन - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे आचमनं समर्पयामि
६. स्नान - ॐ सह त्रिवेणी सलिलाधारम लोक संस्मृति मात्रेण वारिणा स्नापयाम्यहम् - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे स्नानं निवेदयामि
७. वस्त्र - वस्त्र समर्पण में हमेशा दो वस्त्रों का समर्पण किया जाता है और उसका रंग लाल होना चाहिए - वस्त्र न होने कि स्थिति में मौली धागा ( जो प्रायः अनुष्ठान में रक्षा धागा के रूप में पुरोहितों द्वारा यजमान के हाथ में बंधा जाता है प्रयोग किया जा सकता है किन्तु उनमे से किसी भी धागे कि लम्बाई बारह अंगुल से कम नहीं होनी चाहिए )अ. ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे प्रथम वस्त्रं समर्पयामिब. ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे द्वितीय वस्त्रं समर्पयामि
८. यज्ञोपवीत ( यज्ञोपवीत एक धागा होता है जो गृहस्थ लोगों द्वारा धारण किया जाता है ) - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे यज्ञोपवीतं समर्पयामि
९. चन्दन - ॐ मल्यांचल सम्भूतं नाना गंध समन्वितं - शीतलं बहुलामोदम गन्धं चन्दनं निवेदयामि
१०. अक्षत - ( अक्षत को हिंदी में चावल बोलते हैं अक्षत का पूजा एवं साधना में अभिप्राय होता है - आपके इष्ट के पसंदीदा रंग में रंगे हुए चावल जो टूटे-फूटे हुए न हों - माँ चामुंडा कि साधना में अक्षत लाल रंग में रंगे हुए प्रयोग किये जाते हैं - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे आचमनं समर्पयामि
११. पुष्प - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे पुष्पं समर्पयामि
१२. सिंदूर ( सिंदूर समर्पण करते समय एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब भी आप सिंदूर चढ़ाएंगे तो सिंदूर को माँ के मस्तक या ऊपर नहीं चढ़ाना है बल्कि उस सिन्दूर को उनके चरणों के पास समर्पित करना है ) - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे सिन्दूरं समर्पयामि
१३. पान - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे ताम्बूलं समर्पयामि
१४. सुपारी - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे पुन्गीफलं समर्पयामि
१५. धूप - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे गुग्गल संयुतं नाना गंध समन्वितं एवं भक्ष्य पदार्थ समन्वितं धूपं समर्पयामि
१६ . दीप - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे घृत-कर्पूर-कपास एव स्वर्ण पात्र निर्मित दीपं समर्पयामि
१७ . नैवेद्य - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे नाना फल फूल एव खाद्य पदार्थ संयुक्त नैवेद्यम समर्पयामि-मध्यम पूजन खंड इन उपरोक्त
१७ चरणों को प्राथमिक पूजन में शामिल किया जाता है
३. पाद्य ( चरण धोना ) - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे पाद्यं निवेदयामि
४. अर्घ्य - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे अर्घ्यं निवेदयामि
५, आचमन - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे आचमनं समर्पयामि
६. स्नान - ॐ सह त्रिवेणी सलिलाधारम लोक संस्मृति मात्रेण वारिणा स्नापयाम्यहम् - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे स्नानं निवेदयामि
७. वस्त्र - वस्त्र समर्पण में हमेशा दो वस्त्रों का समर्पण किया जाता है और उसका रंग लाल होना चाहिए - वस्त्र न होने कि स्थिति में मौली धागा ( जो प्रायः अनुष्ठान में रक्षा धागा के रूप में पुरोहितों द्वारा यजमान के हाथ में बंधा जाता है प्रयोग किया जा सकता है किन्तु उनमे से किसी भी धागे कि लम्बाई बारह अंगुल से कम नहीं होनी चाहिए )अ. ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे प्रथम वस्त्रं समर्पयामिब. ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे द्वितीय वस्त्रं समर्पयामि
८. यज्ञोपवीत ( यज्ञोपवीत एक धागा होता है जो गृहस्थ लोगों द्वारा धारण किया जाता है ) - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे यज्ञोपवीतं समर्पयामि
९. चन्दन - ॐ मल्यांचल सम्भूतं नाना गंध समन्वितं - शीतलं बहुलामोदम गन्धं चन्दनं निवेदयामि
१०. अक्षत - ( अक्षत को हिंदी में चावल बोलते हैं अक्षत का पूजा एवं साधना में अभिप्राय होता है - आपके इष्ट के पसंदीदा रंग में रंगे हुए चावल जो टूटे-फूटे हुए न हों - माँ चामुंडा कि साधना में अक्षत लाल रंग में रंगे हुए प्रयोग किये जाते हैं - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे आचमनं समर्पयामि
११. पुष्प - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे पुष्पं समर्पयामि
१२. सिंदूर ( सिंदूर समर्पण करते समय एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब भी आप सिंदूर चढ़ाएंगे तो सिंदूर को माँ के मस्तक या ऊपर नहीं चढ़ाना है बल्कि उस सिन्दूर को उनके चरणों के पास समर्पित करना है ) - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे सिन्दूरं समर्पयामि
१३. पान - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे ताम्बूलं समर्पयामि
१४. सुपारी - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे पुन्गीफलं समर्पयामि
१५. धूप - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे गुग्गल संयुतं नाना गंध समन्वितं एवं भक्ष्य पदार्थ समन्वितं धूपं समर्पयामि
१६ . दीप - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे घृत-कर्पूर-कपास एव स्वर्ण पात्र निर्मित दीपं समर्पयामि
१७ . नैवेद्य - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डे नाना फल फूल एव खाद्य पदार्थ संयुक्त नैवेद्यम समर्पयामि-मध्यम पूजन खंड इन उपरोक्त
१७ चरणों को प्राथमिक पूजन में शामिल किया जाता है
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