यदि आप बार बार बीमार पड़ते हैं और आपका स्वास्थ ठीक नहीं रहता तो ये
साधना आपके लिए वरदान साबित होगी ।
ज्वालामालिनी साधना :-
भगवान् शिव की ही एक प्रचंड शक्ति हैं ज्वालामालिनी । इनकी कृपा से साधक का शरीर हृष्ट-पुष्ट एवं सदा स्वस्थ रहता है । इतना ही नहीं, इनके साधक ने यदि इन्हें पूर्ण रूप से सिद्ध कर लिया तो उसके स्पर्श मात्र से ही दूसरों के रोग, व्याधि इत्यादि ठीक हो जाते हैं । यदि आप बार बार बीमार पड़ते हैं और आपका स्वास्थ ठीक नहीं रहता तो ये साधना आपके लिए वरदान साबित होगी ।
ज्वालामालिनी साधना :-
भगवान् शिव की ही एक प्रचंड शक्ति हैं ज्वालामालिनी । इनकी कृपा से साधक का शरीर हृष्ट-पुष्ट एवं सदा स्वस्थ रहता है । इतना ही नहीं, इनके साधक ने यदि इन्हें पूर्ण रूप से सिद्ध कर लिया तो उसके स्पर्श मात्र से ही दूसरों के रोग, व्याधि इत्यादि ठीक हो जाते हैं । यदि आप बार बार बीमार पड़ते हैं और आपका स्वास्थ ठीक नहीं रहता तो ये साधना आपके लिए वरदान साबित होगी ।
इसे संकल्प के द्वारा किसी दुसरे के लिए भी किया जा सकता है । नीचे
ये अनमोल साधना दी जा रही है ।
दिशा :- पूर्व । आसन एवं वस्त्र :- श्वेत । माला:- रुद्राक्ष । संख्या :- 21 माला 11 दिनों तक । और एक चैतन्य शिवलिंग ।
॥ ॐ ज्र्म ज्र्म ज्वालामालिनी सर्वभूत संहार-कारिके जातवेदसी ज्वलन्ती प्रज्व्लन्ति ज्वल-ज्वल प्रज्वल हूं रं रं हूं फट ॥
!! विधि :- किसी भी सोमवार से यह साधना आरम्भ की जा सकती है । अपने सामने बजोट पे शिवलिंग स्थापित करें और उसका लघु पूजन करें ।
फिर संकल्प लेकर यह साधना पूर्ण एकाग्रता एवं भक्ति-भाव से 11 दिनों तक करें । 12वे दिन इसी मंत्र के अंत में स्वाहा लगाकर 11 माला आहुति शुद्ध घी से प्रदान करें ।
दिशा :- पूर्व । आसन एवं वस्त्र :- श्वेत । माला:- रुद्राक्ष । संख्या :- 21 माला 11 दिनों तक । और एक चैतन्य शिवलिंग ।
॥ ॐ ज्र्म ज्र्म ज्वालामालिनी सर्वभूत संहार-कारिके जातवेदसी ज्वलन्ती प्रज्व्लन्ति ज्वल-ज्वल प्रज्वल हूं रं रं हूं फट ॥
!! विधि :- किसी भी सोमवार से यह साधना आरम्भ की जा सकती है । अपने सामने बजोट पे शिवलिंग स्थापित करें और उसका लघु पूजन करें ।
फिर संकल्प लेकर यह साधना पूर्ण एकाग्रता एवं भक्ति-भाव से 11 दिनों तक करें । 12वे दिन इसी मंत्र के अंत में स्वाहा लगाकर 11 माला आहुति शुद्ध घी से प्रदान करें ।
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