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सोमवार, 4 अप्रैल 2016

गर्भाधान संस्कार

16 संस्कारो मे क्यो जरूरी है ? पहला संस्कार गर्भाधान ।
1- गर्भाधान संस्कार का आध्यात्मिक रहश्य ।
आजकल की युवा पीड़ी और नास्तिक लोग इन आध्यात्मिक सिद्धांतों को नकार देते है । इसका मुख्य कारण उनकी अनविज्ञता होती है । वो जानना ही नहीं चाहते है कि आखिर आध्यात्म क्या है ?
गर्भाधान संस्कार मे सबसे पहले गर्भ धारण की स्थिति और साम्य को देखा जाता है । अगर ज्योतिष के अनुसार ब्रहमाण्ड मे ग्रहो की गति अनुकूल है तथा ग्रह स्व राशिगत या उच्च स्थिति मे भ्रमण कर रहे है तो समय अनुकूल है ।
जैसे किसान फसल के लिए अपने खेत को तैयार करता है तथा उचित समय पर ही फसल को बोता है तो ही अच्छी फसल होती है । अगर फसल उचित समय पर न बोई जाये तथा खेत को अच्छे से तैयार न किया जाये तो फसल या तो उगती नहीं है या उसकी किस्म उन्नत पैदा नहीं होती है ।
इसी प्रकार गर्भ धारण के लिए उचित समय , मुहूर्त और उचित तिथियो की आवश्यकता होती है । अन्यथा बच्चे का भविष्य और विकाश उन्नत नहीं होता है । गर्भ धारण तनाव मुक्त होकर तथा मन आत्मा को प्रसन्न अवस्था मे रखते हुए करना चाहिए । जितनी मन की प्रसन्न मुद्रा रहेगी तो उतने ही उन्नत शुक्राणु और अंडे का मिलन होगा ।
तनाव मे , क्रोध मे , डर मे , चोरी से छिपकर और भयभीत अवस्था मे किया गये गर्भ धारण मे पैदा होने वाले बच्चे हमेशा इन्ही परिष्टिथियों से गुजरते है ।
इसलिए ऋषिओ ने कहा कि गर्भधारण संस्कार ही मनुष्य के जीवन की नीव होती है । 

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