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सोमवार, 18 अप्रैल 2016

हमारी दिनचर्या कैसी हो ?

हमारी  दिनचर्या  कैसी  हो ?

प्रातः 5:00 – 6:00 बजे — जागरण , उषापान, नित्यकर्म स्नानादि |
प्रातः 6:00 – 7:00 बजे — योगासन, प्राणायाम , टहलना |
प्रातः 7:30 – 8:00 बजे — नाश्ता [ फल / अंकुरित अन्न / दूध |
प्रातः 11:30 - 12:00 बजे -- दोपहर का भोजन - हरी सब्जी + सलाद + चपाती + दाल |
सायं 4 :00 बजे -- जूस या फल |
सायं 6 :00 बजे -- सूप |
रात्रि 7 :00 बजे -- रात का भोजन - हरी सब्जी + चपाती या मिक्स वेजिटेबिल दलिया |
रात्रि 10 :00 बजे -- एक गिलास दूध [ यदि लेना चाहें ], शयन |



उपर्युक्त भोजनक्रम एक स्वस्थ्य व्यक्ति के लिए है | यदि व्यक्ति किसी रोग से ग्रस्त है तो भोजनक्रम किसी आहार विशेषज्ञ के निर्देशानुसार रखें |

विशेष :
कम-से-कम ६-७ घंटे की नींद अवश्य लें |
दिन में भोजन के उपरांत विश्राम करें, दिन में सोना हितकर नही है |
पूर्ण आहार के मध्य ६-७ घंटे का अन्तराल अवश्य रखें |
भोजन के तुरंत पहले , साथ में या बाद में पानी नही पीना चाहिए | भोजन के एक घंटा पहले एवं दो घंटा बाद पानी पीना सर्वोत्तम है |
भोजन के प्रत्येक ग्रास को चबाते हुए शांत भाव से भोजन करना चाहिए |
फल खाते समय एक बार में एक तरह के फल का ही प्रयोग करें | कई तरह के फलों का एक साथ सेवन नही करना चाहिए |
भोजन में सब्जी व् सलाद की मात्रा अन्न से दोगुनी रहनी चाहिए |
स्वाद के लिए ठूंस – ठूंस कर नहीं खाना चहिये |
जूस,सूप आदि तरल पदार्थ धीरे-धीरे पीना चाहिए जिससे कि ‘ लार ‘ उसमें अच्छी तरह से मिल जाये |
भोजन के बाद चार घंटे तक पानी के अतिरिक्त अन्य कुछ नही लेना चाहिए |
पानी गर्मियों में २ से ३ लीटर व् सर्दियों में १ से २ लीटर कम से कम लेना चाहिए |
भोजन में सप्राण भोजन [ अंकुरित अन्न ], ताजी हरी सब्जियों एवं फलों कि अधिकता रखनी चाहिए |

गुडुम्म और फोड़े

गुडुम्म और फोड़े

गुडुम्म और फोड़े के उपचार हेतु पीपल की पकी हुई कठोर छाल उतार लाएँ और जलाकर राख कर दें। इस राख को तेल में गर्म करके मरहम बना लें और फोड़े पर लेप दें। एक-दो लेप में ही फोड़ा पककर बह जाएगा और घाव भरने लगेगा। यह राख घाव में भर देने से पानी के संसर्ग या छूत के विकार से भी बचाती है। घाव में नयी त्वचा भरने में भी यह मदद करती है।
नमक, हल्दी, धनिया से बढ़ती है सुख-समृद्धि

आपने बड़े-बूढ़ों को यह कहते हुए सुना होगा कि जिस घर में नमक बंधा हो, तो वहां बरकत रहती है। लक्ष्मी को कमल पर आसीन माना गया है। हल्दी की गाठों को साक्षात गणेश का रूप माना गया है और धनियां को इसलिए इस नाम से पुकारा जाता है क्योंकि वह धन का आवाह्न करता है।

जिस घर में नमक, खड़ा धनिया , हल्दी की गांठे और कमल गट्टों को कुछ मात्रा में ही सही संजोकर रखा जाता है वहां निश्चित बरकत होती है।

साबूत नमक को पर्याप्त मात्रा में ईशान यानी उत्तर-पूर्व दिशा में रखने से विपरीत दिशा में शौचालय होने का दोष कम हो जाता है। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।